कमल किशोर जैन
हर गांव में होता है
एक बुढा बरगद
जो जानता है 
उस गांव की हर एक कहानी
उस गांव का हर दुःख,
हर दर्द
जो शामिल होता है 
उस गांव की हर खुशी में
मगर अफ़सोस... 
मेरे गांव में अब कोई बरगद नहीं बचा
यानि.... हर कटते बरगद के साथ ही कट गयी
मेरे गांव की हर कहानी
न जाने कितनी अल्हड जवानियो के किस्से
न जाने कितने मासूम बचपन की यादे..
अब कहा होगी गांव के बड़े बुढो की चौपाले
अब कहा होगी तीये को बैठके,
तपती जून की भरी दोपहरी मे
एक नया ठीया बनाना होगा... 

© कमल किशोर जैन (04 अगस्त 2013)


0 Responses

Post a Comment