undefined
undefined
सुना है...
वेरा ! अब भी उन सपनो की कथा सुनाती है,
अब भी आनासागर के किनारे प्यार की कसमे खायी जाती है,
दरगाह जाते हुए... मदार गेट पर अब भी किसी का यूँ ही इंतज़ार होता है,
बस स्टेंड की पार्किंग अब भी उसकी एक्टिवा से गुलज़ार है,
उसकी कमर अब भी पुष्कर की घाटियों सी बल खाती है,
उसकी आवाज में आज भी पुष्कर के घाटों सी शांति है,
अब भी कोई उसके कांधे पर सिर रख कर सुकून से सो जाना चाहता है,
माया मंदिर में आज भी उसका इंतज़ार होता है,
हाथ में मेंगो पकडे.. अभी उसमे मसाला ढूंढा जाता है,
सुना है वो अब भी यूँ ही मेरा इंतज़ार करती है,
सुना है वहा ऑटो में हम तुम घुमा करते है...
सुना है... सुना है..
![]() |
ख्वाजा साहब की दरगाह |
![]() |
मदार गेट |
![]() |
माया मंदिर |
![]() |
पुष्कर घाट |
Post a Comment