कमल किशोर जैन
ऑफिस जाना था, थोड़ी जल्दी भी थी
उसने कहा, सुनो! कुछ बात करनी थी
कहो, मैंने जूते के तमसे बांधते हुए कहा
ऐसे नही, इत्मीनान से.. ये हमारे बारे में है
मेरे और तुम्हारे बारे में
कुछ जरूरी है क्या?
अब तुमसे और मुझसे ज्यादा भी कुछ जरूरी होगा क्या
अच्छा! सुनो अभी नही, शाम को बात करते है.. इत्मीनान से
मुझे लगा आखिर क्या कहना होगा,
मां ने कुछ कह दिया होगा, या हद से हद बच्चों ने परेशान किया होगा, या ऐसा ही कुछ
दिनभर रोजाना की तरह भागदौड़ में ही बीत गया
सोचा, की फोन करता हूँ, पूंछू क्या बात थी
मगर नही हो पाया, शाम को लौटा.. वो किचन में थी
खाने की तैयारी, हमारे खाने की तैयारी में जुटी
कपड़े बदले, खाना खाया.. टीवी खोल लिया
शनिवार था, टीवी पे वो कपिल शर्मा जबरदस्ती हंसाने में जुटा था
उसने इशारे से पूछा, कितनी देर
बस 5 मिनिट
ये 5 मिनिट डेढ़ घंटे में कब बदला, पता नही नहीं चला
जब कमरे में पहुंचा.. वो थक कर सो चुकी थी
और आज भी हमारी बात अधूरी ही रह गई
हो ही नही पाई.. इत्मीनान से
लगा, जगा लेता हूं.. पूंछू क्या बात थी
मगर हिम्मत ही नही हुई, थकी मांदी, उसे जगाने की
उसे देखते हुए सोचने लगा
साल बीते, जब वो इस घर आई थी
बीवी, बहु, भाभी, मां.. जाने कितना कुछ उसे निभाना था
हमारी आदते, रिवाज, रिश्ते- नाते, मान- अपमान अब सब उसका था
मगर, उसका खुदका क्या था, ये मुझे आज भी नही पता
कभी कभी मैं सोचता था, उसे छेड भी देता, तुम्हारी कोई सहेली नही क्या.. तुम्हारे पास अपने स्कूल कॉलेज की कोई कहानी नही क्या
मगर मैंने कभी जाना ही नही, बस अपनी ही बताता गया
उसने सब किया, हर रिश्ता खूबसूरती से निभाया भी.. आज भी वो जंग जारी है
मगर, इन सबमे वो कहाँ गुम है, जो शादी से ठीक पहले तक इसमे बसती थी
हमे निभाते निभाते ये खुद कहाँ गुम हो गई, पता ही नही चला
अगली सुबह इतवार था, उठा, देखा वो तैयार हो रही थी
उसका हाथ पकड़ कर पास बैठाया, कहा

सुनो! कुछ बात करनी है, हमारे बारे में
मेरे और तुम्हारे बारे में





©कमल किशोर जैन (22.09.2019)