कितनी आसानी से कह दिया था मैंने
की निभा लूँगा मैं तुम्हारे बिना,
अब याद भी नहीं करूँगा तुम्हे
मगर तुम हर पल याद आते हो
जब किसी कठिन क्षण में
नहीं होता है कोई सहारा
जब नहीं समझ पाता हूँ
दुनियादारी के दांव पेच
जब याद आते है वो पल
जो नसीब हुए थे सिर्फ तुम्हारी वजह से
एक तुम्हारे ही भरोसे तो चल पड़ता था
कहीं भी, कभी भी
जब कोई गलती करने से पहले कुछ सोचना नहीं पड़ता था
मालूम था, की हर गलती सुधारने को
तुम साथ ही हो..
यहीं कहीं.. मेरे साथ.. मेरे पास
मगर अब जब तुम नहीं हो
तुम्हारी याद हर पल आती है..
पापा.. काश तुम यूँ नहीं गए होते
तो मैं आज भी मैं ही होता..
यूँ इतना बदल नहीं गया होता.
मैं हर पल यही कोशिश करता हूँ
की बन सकू तुम्हारे जैसा
जबकि मैं ये भी जानता हूँ की
ये मुमकिन ही नहीं.. कभी नहीं
पापा.. तुम जैसे बस तुम्ही थे..
कोई और नहीं..
© कमल किशोर जैन (11 अगस्त 2013)
© कमल किशोर जैन (11 अगस्त 2013)
पापा - पूरण चंद जैन (जिनके बिना जीना इतना आसान नहीं रहा) |
Post a Comment