सीखा भरोसा तुझी से, ओर निभाना इश्क़ भी सिखाया तुम्ही ने,
भले ना खाई हो कभी कसमे तूने, पर कसम निभाना भी सिखाया तुम्ही ने,
ना मिल सकोगी कभी ये एहसास भी कराया तुम्ही ने,
ओर जुदा ना रह सकोगी, ये जताया भी तुम्ही ने,
ना इकरार ही करे हो, ना इनकार की किया तुम्ही ने
हर बात कहना ज़रूरी तो नही, ओर कह भी दीया तुम्ही ने
सफाई देना ना कभी गवारा था तुम्हे
आज हर बात की सफाई भी दे दी तुम्ही ने
एक मेरे खोने के डर से, क्या क्या ना किया तुमने
एक मैं जो हर बार बस खता पे खता ही किए हूँ..
.
था मैं खुद से ही शर्मिंदा, था दामन भी मेरा दागदार
बस था तो तेरे इश्क़ का इल्म ओर रूह का तेरी साथ.
भले ना खाई हो कभी कसमे तूने, पर कसम निभाना भी सिखाया तुम्ही ने,
ना मिल सकोगी कभी ये एहसास भी कराया तुम्ही ने,
ओर जुदा ना रह सकोगी, ये जताया भी तुम्ही ने,
ना इकरार ही करे हो, ना इनकार की किया तुम्ही ने
हर बात कहना ज़रूरी तो नही, ओर कह भी दीया तुम्ही ने
सफाई देना ना कभी गवारा था तुम्हे
आज हर बात की सफाई भी दे दी तुम्ही ने
एक मेरे खोने के डर से, क्या क्या ना किया तुमने
एक मैं जो हर बार बस खता पे खता ही किए हूँ..
.
था मैं खुद से ही शर्मिंदा, था दामन भी मेरा दागदार
बस था तो तेरे इश्क़ का इल्म ओर रूह का तेरी साथ.
सीखा भरोसा तुझी से, ओर निभाना इश्क़ भी सिखाया तुम्ही ने,
भले ना खाई हो कभी कसमे तूने, पर कसम निभाना भी सिखाया तुम्ही ने,
ना मिल सकोगी कभी ये एहसास भी कराया तुम्ही ने,
ओर जुदा ना रह सकोगी, ये जताया भी तुम्ही ने,
ना इकरार ही करे हो, ना इनकार की किया
हर बात कहना ज़रूरी तो नही, ओर कह भी दिए हो
सफाई देना ना कभी गवारा था तुझे,
आज हर बात की सफाई भी diya tumhi ne..
एक मैं जो हर बार बस खता पे खता ही किए हूँ..
एक मेरे खोने के डर से, क्या क्या kiye tumhi ne,
.
था मैं खुद से ही शर्मिंदा, था दामन भी मेरा दागदार
बस था तो तेरे इश्क़ का इल्म ओर रूह ka sath diya tumhi ne
ना इकरार ही करे हो, ना इनकार की किया
हर बात कहना ज़रूरी तो नही, ओर कह भी diya tumhi ne
बहुत खूब !