अपना परिचय बस इतना सा की हम भी आप जैसे ही है. शुरू से ही घाट घाट का पानी पीने के आदि.. माँ-पापा डॉक्टर बनाना चाहते थे तो बायो से १२वीं करी फिर भौतिकी और भूगर्भ शास्त्र जैसे नीरस विषयों के साथ स्नातक की.. उसके बड़ा दुबारा कला विषयों के साथ स्नातक किया.. फिर बी एड फिर राजनीती विज्ञान और समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर.. मतलब बिलकुल बेतरतीबी से जो मन किया पढता गया..
फिर यही हाल काम के सिलसिले में भी रहा.. कॉलेज से निकलते ही फिनेंस का काम देखा, फिर मेडिकल कम्पनी में एम् आर, फिर एक लंबा समय दैनिक भास्कर में बतौर पत्रकार.. इसी दौरान कॉलेज में व्याख्याता, लेखन में भी हाथ आजमाए.. उसके बाद करीब दो साल एक एनजीओ के जरिये शिक्षा के क्षेत्र में काम किया.
आजकल घर की दाल रोटी चलने के लिए एक राजनैतिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ..
अब नहीं लगता की इसके अलावा भी कुछ जानने में दिलचस्पी होगी आपकी..
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