इन्होने भगवा को छीना,
उन्होंने हरे को..
मैंने सफ़ेद चुना,
और शांति से जिया..
मैंने सफ़ेद चुना,
और शांति से जिया..
इन्होने मदरसों में आतंक की घुट्टी दी,
उन्होंने सरस्वती के मंदिरों में जहर भरा..
भला हुआ जो
मैं निपट अज्ञानी रहा.
उन्होंने सरस्वती के मंदिरों में जहर भरा..
भला हुआ जो
मैं निपट अज्ञानी रहा.
मौलाना अजान में डूबे रहे,
पंडित जी ठाकुर के भोग में..
उधर वो बच्ची
भूख से तड़प कर मर गयी
पंडित जी ठाकुर के भोग में..
उधर वो बच्ची
भूख से तड़प कर मर गयी
इन्होने विधर्मियों को मारा
उन्होंने काफिरो को
मैंने इंसानियत को चुना..
मैं बेबस हर रोज मरा..
उन्होंने काफिरो को
मैंने इंसानियत को चुना..
मैं बेबस हर रोज मरा..
इन्होने गोधरा चुना
उन्होंने मुजफ्फरनगर उजाडा
मुझे शांति की तलाश थी...
जो किसी मासूम की मुस्कान में मिली.
जो किसी मासूम की मुस्कान में मिली.
© कमल किशोर जैन (12 सितम्बर 2013)
Post a Comment