undefined
undefined
कमल किशोर जैन
पहले पहल मेरे लिए सुन्दरता के मायने की कुछ और थे
मसलन तब किसी स्त्री की मांसलता मुझे लुभाती थी
किसी का गौरवर्ण मुझे सहज आकर्षित कर लेता था
और अक्सर ही कृत्रिमता मुझे आसानी से प्रभावित कर देती थी,
फिर मैं तुमसे मिला,
संभवतया ये घटना मेरे जीवन की मधुर स्मृतियों में श्रेष्ठ है,
इसका घटना मेरे जीवन में किसी उत्सव सा स्मरणीय है
और फिर, मेरे लिए सुन्दरता के मायने बदलने लगे
तुम्हारे साथ बिताया हर पल मुझे लुभाने लगा
तुम्हारी सादगी असर करने लगी
और हाँ, वो जो तुम हाथ में दो कड़े पहनती थी ना,
वो भी मुझे बहुत पसंद थे
और अब जब तुम मेरे साथ नहीं हो, तब भी
सुन्दरता को महसूस करने का मेरा तरीका वही है
जो तुमने मुझे सिखाया था
वही जो बच्चो की मुस्कान में नज़र आता है
जो बारिश की बूंदों सा, हर किसी के मन को हर्षाता है
वो जो घोर उदासी में भी होंठो पर एक मुस्कान छोड़ जाता है
और हाँ, सबसे अहम् तो वो है की अब कोई कृत्रिमता मुझे प्रभावित नहीं करती है
क्यूंकि मैं जान गया हूँ की असल जीवन में इसका कोई मोल ही नहीं है

© कमल किशोर जैन ( 02 अक्टूबर, 2013)


 


undefined
undefined
कमल किशोर जैन

गाँधी, तुम थे ये मानना ज़रा दुष्कर हो चला है मेरे लिए
आजकल कौन किसी के कहने से यूँ सब कुछ छोड़ छाड़ कर चल देता है
अब कौन किसी के थप्पड़ मरने पर अपना दूसरा गाल भी आगे कर देता है
बापू! अब कहा केवल अहिंसा के दम पर दुश्मनों को शिकस्त दे पाना मुमकिन है
अब कहा तुम सा समर्पण और धैर्य ला पाना संभव है
ना जाने कैसे तुमने उन मुर्दों में जान फूंकी होगी
जाने कैसे उनमे देशप्रेम का ज़ज्बा डाला होगा
ये तुमसे ही संभव था जो एक लाठी के दम पर अंग्रेजो को खदेड़ पाए
ये तुमसे ही संभव था जो पाठ अहिंसा का हमको सीखा पाए
बापू! तुम युग नियंता थे, तुम सर्जक थे इस नए भारत के
जो स्वप्न तुमने दिखाए थे आज़ादी की उस अलसभोर में हमको
अफ़सोस उन सपनो को जाने कहीं बिसरा दिया है हमने
और धिक्कार है हम पर, जो संजो नहीं पाए तुम्हारे आदर्शो को
सुना है, आजकल तुम्हारे बलिदान पर भी लोग अंगुलिय उठाने लगे है

 
© कमल किशोर जैन ( 02 अक्तूबर, 2013 )