जब माँ साथ हो तो किसी दुआ की ज़रूरत ही नही...
जब माँ साथ हो तो फिर से बच्चा बन जाने को जी चाहता है....
जब माँ साथ हो तो क्यूँ उसकी गोद में सिर रखकर सो जाने को जी चाहता है...
क्यूँ दिल भारी हो तो माँ से लिपट कर रोने को जी चाहता है...
क्यूँ उसकी आँखो का एक आँसू परबत सा भारी लगता है...
कैसे बिन कहे उसे हर बात का इल्म हो जाता है...
कैसे हर संकट मे उसका हाथ सर पर नज़र आता है....
माँ तुम साथ हो तो जीना आसान हो जाता है.
जब माँ साथ हो तो फिर से बच्चा बन जाने को जी चाहता है....
जब माँ साथ हो तो क्यूँ उसकी गोद में सिर रखकर सो जाने को जी चाहता है...
क्यूँ दिल भारी हो तो माँ से लिपट कर रोने को जी चाहता है...
क्यूँ उसकी आँखो का एक आँसू परबत सा भारी लगता है...
कैसे बिन कहे उसे हर बात का इल्म हो जाता है...
कैसे हर संकट मे उसका हाथ सर पर नज़र आता है....
माँ तुम साथ हो तो जीना आसान हो जाता है.
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