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कमल किशोर जैन
लाख कोशिशो के बाद भी
ना जाने क्यूँ मेरे मन से
नहीं मिट पाते है
तुम्हारी छुअन के निशान...

मेरे शरीर, मेरे अंतस
हर कहीं और
जहाँ तक है मेरा वजूद
वहां तक मौजूद है
तुम्हारी छुअन के निशान...