कमल किशोर जैन
लो आज आखिर आ ही गया
आखिरी दिन ..

हमारे प्रेम का,
हमारे समर्पण का,
हमारे सपनो का,

हर उस लम्हे का
जो हमने बियाते थे
एक दुसरे की यादों में खोये हुए

उन लम्हों, उन यादों के बिना
कैसे होगा मुमकिन मेरा जीना
या शायद जी भी लूं

मगर तेरे बिना वो जीना
कभी जीना नही होगा

जैसे तेरे बिना जीना कभी जीना था नहीं …… 



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