कमल किशोर जैन
सच कितना मजबूर है मेरा प्रेम...
और उतनी ही निष्ठुर तुम
जितना मुझसे ये करीब होता जाता है
तुम मुझसे उतनी ही दूर चली जाती हो

....और मेरे पास रह जाते है
फकत तेरी यादों के साये..
चंद अल्फाज़.. और आँखों में ये नमी






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